


1. जल जनित रोग
बारिश के समय पीने के पानी में अशुद्धियाँ मिलने की संभावना बढ़ जाती है, जिससे डायरिया, हैजा, टाइफाइड, पीलिया जैसी बीमारियाँ फैलती हैं।
2. मच्छर जनित रोग
स्थिर पानी मच्छरों की पैदाइश के लिए आदर्श होता है, जिससे डेंगू, मलेरिया, चिकनगुनिया जैसी जानलेवा बीमारियाँ फैलती हैं।
3. फंगल संक्रमण
अधिक नमी के कारण त्वचा, पैरों और अंगुलियों के बीच फंगल संक्रमण (ringworm, athlete’s foot) जैसी समस्याएँ आम हो जाती हैं।
4. सांस संबंधी समस्याएँ:
वातावरण में आद्रता और तापमान में उतार-चढ़ाव के कारण सर्दी, जुकाम, खांसी, ब्रोंकाइटिस जैसी समस्याएँ उत्पन्न हो जाती हैं।
5. पाचन संबंधी समस्याएँ:
सड़क किनारे मिलने वाला तला-भुना और दूषित खाना संक्रमण का कारण बनता है, जिससे फूड पॉयज़निंग, गैस, अपच आदि होते हैं।
वर्षा ऋतु में स्वास्थ्य की देखभाल हेतु सुझाव
1. स्वच्छ पेयजल का सेवन करें
उबला हुआ या फिल्टर किया गया पानी ही पिएँ। बाहर का पानी पूरी तरह से अवॉयड करें।
2. भोजन में सावधानी रखें
घर का ताजा बना हुआ खाना खाएं। तले हुए, खुले में बिकने वाले और स्ट्रीट फूड से परहेज करें।
3. व्यक्तिगत स्वच्छता बनाए रखें
नहाने के बाद शरीर को अच्छी तरह सुखाएँ, गीले कपड़े तुरंत बदलें, और साफ-सुथरे कपड़े पहनें।
4. मच्छर से सुरक्षा
मच्छरदानी, रिपेलेंट और घर में नियमित फॉगिंग करें। जलजमाव न होने दें।
5. इम्युनिटी बढ़ाएँ
आयुर्वेदिक काढ़ा, तुलसी, हल्दी दूध जैसे प्राकृतिक उपायों से रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाएँ।
6. बरसात में भी व्यायाम करें:
योग, प्राणायाम और घर के अंदर हल्के व्यायाम इस मौसम में शरीर को सक्रिय बनाए रखते हैं।
विशेष ध्यान दें
बच्चों और बुजुर्गों की इम्युनिटी कमजोर होती है, इसलिए उनकी देखभाल विशेष रूप से करें।
कोई भी बीमारी लंबे समय तक बनी रहे तो डॉक्टर से परामर्श लें, घरेलू उपायों पर अधिक निर्भर न रहें
वर्षा ऋतु आनंद और उल्लास का समय है, लेकिन थोड़ी सी लापरवाही इसे बीमारियों का मौसम बना सकती है। स्वच्छता, संतुलित आहार और सतर्कता अपनाकर इस मौसम का आनंद स्वस्थ शरीर और प्रसन्न मन से लिया जा सकता है।